Jeevan's Blog
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रोज सवेरे उठती है वह
प्यार और मनुहार चाहती
माँ के पास ठुन-ठुन करती
दाँत सफाई से कतराती
नित्य क्रिया से निपट शीघ्र वह
गृह कार्य में लग जाती
खेल-कूदकर वसन पहनती
हँस-हँसकर वह खाना खाती
प्रातः कल उठि के रघुनाथा
मत-पिता-गुरु नावहि माथा
गृह गुरुजन से मिली सीख वह
रामचरित का पालन करती
विद्यालय से जब आती है वह
दूरदर्शन अवलोकन करती
माँ की फटकार सुन वह फिर
घर काम में लग जाती ………
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