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न्यायालय में हो रहे भ्रष्टाचार पर किसी का ध्यान नहीं जाता है या यूँ कहें कि उधर कोइ ध्यान देना नहीं चाहता है. न्यायालय में मामलों का अम्बार लगा हुआ है और न्यायाधीशों/ मजिस्ट्रेटो को कोइ प्रभाव नहीं पड़ रहा है. कोइ वकीलों को खुश करने में तो कोइ रिश्वत के लोभ में केस को लम्बा खिंच रहे हैं. पूर्णियां जिला न्यायालय में एक मजिस्ट्रेट ऐसे हैं जो प्रत्येक केस में छह से आठ माह का तारीख देते हैं इस तरह से दो तारीख में ही वर्ष बीत जाता है. पूर्णिया जिला एवं सत्र न्यायाधीश तो जमानत आवेदन पर भी दो माह का तारीख देतें हैं. कुछ जल्दी चाहतें हैं तो रिश्वत का जुगाड़ करना होगा तभी संभव है, गरीब लोगों को न्याय नहीं मिलेगा. कोइ पीड़ित व्यक्ति यदि न्यायालय में केस करना चाहते हैं तो उसे संज्ञान के लिए वर्षों इंतजार करना होगा. कुछ लोग तो इसी डर से केस नहीं करते हैं. यदि यह सच है तो यह किसी व्यक्ति को न्याय नहीं मिलने का अपराध न्यायालय को जाता है.
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